Amount collected in last 9 moths for Save Suraj Campaign:
April: Rs 5,000
May: Rs 15,000
June: Rs 20,706
July: Rs 12,800
August: Rs 5,500
September: Rs7,600
October: Rs 4,000
November: Rs 5,000
December: Rs 3,500
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Total collection : Rs 82,606
Cost of medicine : Rs 15,000 (per month) , Total no. of month: ९
Total money spent : 15,000 * 9 = 1,35,000 (only in medicine)
हम सभी सहयोगकर्ता के आभारी हैं । पर जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है ये अभियान जारी रख पाना मुश्किल हो रहा है । तो मेरा विनम्र निवेदन है आप सभी से अगर आप Suraj कि मदद करने में सक्षम हैं, तो हमारे Suraj ३० अभियान का हिस्सा बनिए ।
Suraj के अलावा भी कुछ लोगों कि मदद के लिए मैंने गुहार लगाई थी इस ब्लॉग पर, क्योंकि हमारा समाज भरा पड़ा है Suraj जैसे जरूरतमंद लोगों से और उनकी मदद करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है । ऐसे हिन् एक नाम था नासिर भाई (फुटबालर ) का, अफ़सोस हम नासिर भाई का जान नही बचा सके । जबतक हमने उनके परिवार से संपर्क किया तबतक वो गुजर चुके थे । पर फ़िर भी हमने एक अपील कि उनके परिजनों के मदद के लिए और ज्यादा तो नहीं पर कुछ सहायता राशि इक्कठी हो गई । और जब ये समाचार गंगेश गुंजन (दैनिक जागरण पत्रकार) जी ने धनबाद के संस्करण में निकला तो कुछ और संस्था भी नासिर भाई के परिवार कि सहायता के लिए आगे आई ।
अभी नासिर भाई का बड़ा लडका स्कूल जा रहा है, उनके छोटे भाई वहीँ धनबाद में एक छोटी सी कंपनी में काम कर रहे हैं । सबलोग अच्छे हैं । मैं बीच-बीच में उनलोगों से बातचीत करते रहता हूँ ।
इसके अलावा हमने कथाकार मधुकर जी के सहायता लिए भी अपील कि थी । उसके लिए भी कुछ लोग आगे आए थे और वो सीधा मधुकर जी से हिन् संपर्क किए थे ।
तो कुल मिला जुलाकर इस ब्लॉग के जरिये Suraj जैसे जरुरतमंदो कि सहायता में हमलोगों ने एक ठोस कदम जरुर बढाया है । आगे देखिये क्या होता है ....
आखिर में सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी एक कविता "Suraj को नहीं डूबने दूँगा" कि कुछ पंक्तियाँ
अब मै सूरज को नही डूबने दूंगा।
देखो मैने कंधे चौडे कर लिये हैं
मुट्ठियाँ मजबूत कर ली हैं
और ढलान पर एडियाँ जमाकर
खडा होना मैने सीख लिया है।
घबराओ मत
मै क्षितिज पर जा रहा हूँ।
सूरज ठीक जब पहाडी से लुढकने लगेगा
मै कंधे अडा दूंगा
देखना वह वहीं ठहरा होगा।
सूरज जायेगा भी तो कहाँ
उसे यहीं रहना होगा
यहीं हमारी सांसों मे
हमारी रगों मे
हमारे संकल्पों मे हमारे रतजगो मे
तुम उदास मत होओ
अब मै किसी भी सूरज को
नही डूबने दूंगा।
देखो मैने कंधे चौडे कर लिये हैं
मुट्ठियाँ मजबूत कर ली हैं
और ढलान पर एडियाँ जमाकर
खडा होना मैने सीख लिया है।
घबराओ मत
मै क्षितिज पर जा रहा हूँ।
सूरज ठीक जब पहाडी से लुढकने लगेगा
मै कंधे अडा दूंगा
देखना वह वहीं ठहरा होगा।
सूरज जायेगा भी तो कहाँ
उसे यहीं रहना होगा
यहीं हमारी सांसों मे
हमारी रगों मे
हमारे संकल्पों मे हमारे रतजगो मे
तुम उदास मत होओ
अब मै किसी भी सूरज को
नही डूबने दूंगा।
----सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
इस कविता में सर्वेश्वरदयाल सक्सेना जी ने बहुत हिन् अहम् बात उठाई है वो कहते हैं "सूरज जाएगा भी तो कहाँ " अगर समाज में जरूरतमंद Suraj की मदद हम और आप जैसे सक्षम लोग नहीं करेंगे तो कौन करेगा कहाँ जायेगा Suraj, कौन बचायेगा Suraj को राहू से ? ये समय आ गया है की हम अपने कन्धों पर जिम्मेवारी लें और बोलें की ऐसे किसी भी जरूरतमंद Suraj को कोई राहू निगल नही पायेगा ... हाँ अब मैं किसी भी सूरज को नहीं डूबने दूँगा .....
आप क्या सोचते हैं इस ब्लॉग के बारे में , आपके विचार आमंत्रित है कहाँ तक ये ब्लॉग अपने मकसद में सफल रहा, और क्या कुछ और नया कर सकते हैं हम , वैसे लंबा रास्ता अभी तय करना है ...
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