अधिकांश लोगों के लिए शायद यह महज एक सूचना होगी, लेकिन शायद ब्लॉग की दुनिया में कुछ लोग ऐसे हों, जिन्हें यह समाचार दुखी कर देगा। कथाकार मधुकर सिंह पिछले लगभग डेढ महीने से पक्षघात के पीडित है। इससे भी अधिक त्रासद यह है कि उनके इलाज की मुकम्मल व्यवस्था नहीं हो पा रही। आर्थिक कारणों से न तो उनकी फिजियोथेरेपी हो पा रही है, न ही पर्याप्त दवाएं उपलब्ध हो रहीं हैं। वह पटना छोड कर आरा में रोग शैयया पर पडे हैं।
प्रभात खबर समेत पटना के अन्य अखबारों में भी इससे संबंधित सूचना प्रकाशित हो चुकी है। लेकिन न तो सरकार की ओर से कोई मदद मिली है न ही लेखक बिरादरी ने अपनी ओर से कोई कोशिश की हैं। इस संबंध में मैंने कुछ राजनेताओं से बात करने की कोशिश की तो उनका रिस्पांस तो बेहद ठंडा था । हां, कुछ लेखकों ने जरूर इस आशय का परिपत्र तैयार कर देने पर उस अपने 'हस्ताक्षर' कर देने की सहमति देने की दरियादिली दिखायी है। हिंदी लेखकों की इस महान संवेदनशीलता पर कुछ न कहना ही उचित होगा।
बहरहाल, इस पोस्ट का आशय इतना भर है कि........ शायद इसका कोई आशय नहीं है !
क़पया इस पोस्ट पर अपनी टिप्पणी न दें, यह लेखकों के हस्ताक्षर जैसी ही दरियादिली होगी।
मधुकर जी का मोबाइल नं है 9973608542, 9334821919
पर इस घमासान में एक आदमी की नजर भी शायद इस पोस्ट पर नही गई या फ़िर उस गरमा-गरम बहस को छोड़ कर वो एक जरूरतमंद की मदद को क्यों आगे आए ? वाह रे दुनिया , और हमर हिन्दी लेखक समुदाय ने तो उस से भी बड़ा कमल कर दिया हस्ताक्षर का अभियान चलाकर ।
लेकिन हम जल्द हिन् मधुकर जी से बात करके उन तक सहायता पहुचने का कुछ बंदोबस्त करेंगे । और मुझे पुरा विश्वास है की हमारे मित्रगन इस कार्य में जरुर शरीक होंगे । और वो गरमा-गरम बहस हम उन्हीं लोगों के छोड़ देते हैं ।
कल तक मैं जरुर आपको मधुकर जी के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध करवाऊंगा ...
आयी करें मदद एक और सूरज की ...
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